
ओर से इस अंतरराज्यीय गिरोह से आगे बेचने के लिए बच्चियों की मांग की जाती थी। इसके चलते यह गिरोह गरीब लोगों से उनकी दूधमुही बेटियां को खरीद लाता था। आगे यह लड़कियां डीलरों की ओर से सात लाख रुपये तक में बेच दी जाती थीं। पुलिस के मुताबिक इस गिरोह की ओर से इससे पहले सात नवजात शिशुओं की खरीद-फरोख्त की जा चुकी है। इन बच्चों को गिरोह के सदस्यों की ओर से कहां से खरीदा गया और आगे कहां व किन लोगों को बेचा गया, इस बारे में पता लगाया जाएगा। जिसके बाद इन सभी को भी मामले में नामजद किया जाएगा।
पुलिस के मुताबिक गिरोह के साथ जुड़े एक डीलर को फिलहाल पकड़ा है। डीलरों की संख्या ज्यादा भी हो सकती है। पुलिस का मानना है कि बड़ी होने पर लड़कियां असली माता-पिता नहीं होने पर विद्रोह नहीं करती हैं। संभवत: इसीलिए बच्चियों की मांग अधिक थी। जानकारी के मुताबिक गिरोह की ओर से लड़की को डेढ़ से दो लाख में खरीद कर आगे छह से सात लाख रुपये तक में बेचा जाता था, जबकि वहीं लड़कों को एक लाख रुपये तक में खरीद कर तीन से चार लाख रुपये तक में बेचा जाता था।
सीआईए स्टाफ समाना के इंचार्ज ने बताया कि पटियाला में कुछ साल पहले पटियाला के सरकारी माता कौशल्या अस्पताल और अब बठिंडा के अस्पताल से नवजात बच्चों की चोरी की घटनाओं में कहीं इस गिरोह की संलिप्तता तो नहीं, इस पहलू से भी जांच की जाएगी।