देहरादून: विभाजन विभीषिका सम्मान समारोह के मौके पर मुख्यमंत्री धामी ने देश के विभाजन के दौरान अपनी जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि अर्पित दी तो वहीं उन्होंने विभाजन विभीषिका के दौरान दिवंगत हुए लोगों की याद में स्मृति स्थल के निर्माण की घोषणा की है. इस मौके पर मुख्यमंत्री ने विभाजन के मंजर को देखने वाले और अब वयोवृद्ध हो चुके विद्यावती, सरदार मनोहर सिंह नागपाल, नानक चंद नारंग, भवानी दास अरोड़ा आदि को सम्मानित कियाइस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि लंबे संघर्ष के बाद 15 अगस्त 1947 को एक तरफ जहां देश में आजादी का जश्न मनाया जा रहा था, तो वहीं दूसरी ओर देश के विभाजन का भी दर्द हमारे लोगों ने सहा. उन्होंने कहा कि देश का विभाजन हमारे देश के लिए किसी विभीषिका से कम नहीं था. आज भी इस दंश के दर्द की टीस लोगों में मौजूद है. जिसने भी उस मंजर को झेला है, उसकी यादें उनकी आंखों को नम कर देती हैं.सीएम धामी ने कहा कि भारत का विभाजन केवल एक भूभाग का बंटवारा नहीं था, बल्कि पीढ़ियों से साथ रह रहे लोगों के बीच नफरत और सांप्रदायिकता की ऐसी लकीर खींच दी गई थी, जिसे कभी मिटाने की कल्पना करना भी बेहद मुश्किल है. सालों से साथ रहने वाले लोग अचानक एक फैसले के बाद एक दूसरे के खून के प्यासे हो गए थे. उस फैसले के बाद हर जगह क्रूरता नजर आ रही थी और जीवन मूल्यहीन हो गया था. ह्यूमन माइग्रेशन का इससे भयानक और विध्वंसक रूप पहले कभी नहीं देखा गया था. उस वक्त भारत देश के बंटवारे ने सामाजिक एकता, सामाजिक सद्भाव और मानवीय संवेदनाओं को तार-तार कर दिया था.मुख्यमंत्री ने कहा कि विभाजन के बाद से ही कई बार अनेकों इतिहासकारों और राजनेताओं ने अलग अलग मंचों से साफ शब्दों में कहा है कि, देश का विभाजन राजनीतिक निर्बलता का साफ उदाहरण था. उन्होंने कहा कि अब हम सभी की यह जिम्मेदारी है कि हमारी युवा पीढ़ी उन तमाम तथ्यों को जाने कि यह आज़ादी देश ने किन हालातों में पाई थी और इसके लिए क्या कीमत चुकानी पड़ी है.भाजपा और आरएसएस ने मिल कर आजादी के अमृत वर्ष के उपलक्ष्य में इस तरह के कार्यक्रमों की शुरुआत की है. उनका कहना है कि देश अपनी आजादी के अमृतकाल में प्रवेश कर चुका है. इस अमृतकाल में हमारा यह कर्तव्य है कि देश को आजादी दिलवाने वालों के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करें.