उत्तराखंड ऑटो-रिक्शा एवं विक्रम परिवहन महासंघ ने पेट्रोल-डीजल वाले ऑटो-रिक्शा और विक्रम वाहनों को सड़क से बाहर करने के फैसले का विरोध तेज कर दिया है। महासंघ ने चेतावनी दी है कि यदि फैसला रद नहीं किया गया तो 29 नवंबर को विधानसभा का घेराव किया जाएगा। महासंघ ने सभी परिवहन यूनियनों का समर्थन लेकर प्रदेशव्यापी आंदोलन की तैयारी भी शुरू कर दी है।
बुधवार को देहरादून में पत्रकारों से बातचीत में महासंघ अध्यक्ष महंत विनय सारस्वत ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आरटीए ने दस साल या इससे पुराने ऑटो-रिक्शा और विक्रम वाहनों को मार्च 2023 और बाकी बचे वाहनों को दिसंबर 2023 तक सड़क से बाहर करने का फैसला लिया है। यह फैसला न्यायोचित नहीं हैं।
आरटीए ने ऑटो-विक्रम वालों का पक्ष सुने बिना एकतरफा फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा था कि वाहनों की कोई उम्र तय नहीं की जा सकती। जब तक वाहन फिट है, तब तक उसे चलाया जा सकता है। ऐसे में आरटीए के अधिकारी उम्र तय करने वाले कौन होते हैं?
उन्होंने कहा कि एनजीटी के फैसले का हवाला देकर मनमाने फैसले लिए जा रहे हैं। दून ऑटो-रिक्शा यूनियन के अध्यक्ष पंकज अरोड़ा ने कहा कि हम प्रदूषण नियंत्रण में सरकार का सहयोग करने के लिए तैयार हैं, लेकिन इसके लिए डीजल-पेट्रोल वाहनों को चरणबद्ध तरीके से और 15 साल पुराने वाहनों को बाहर किया जाए।
डोईवाला के लालतप्पड़ में ऑटोमेटिक फिटनेस केंद्र खोलने को लेकर परिवहन कारोबारी मुखर हो गए हैं। बस, ट्रक, टैक्सी, मैक्सी, ऑटो और विक्रम संचालकों ने 25 नंवबर को परिवहन आयुक्त कार्यालय का घेराव करने का निर्णय लिया है। सिटी बस महासंघ अध्यक्ष विजय वर्धन डंडरियाल ने कहा कि परिवहन विभाग ने केंद्र सरकार की गाइडलाइन के विरुद्ध डोईवाला में फिटनेस केंद्र खोला है।
यह केंद्र चकराता से 100 किमी और देहरादून शहर से 28 किमी दूर है। इसके चलते वाहन स्वामियों पर फिटनेस कराने के लिए पांच हजार रुपये तक अतिरिक्त बोझ बढ़ गया है। देहरादून जिले में कम से कम चार केंद्र खोले जाए जो कि शहर के करीब हों। जब तक केंद्र नहीं खुलते हैं, तब तक पूर्व की भांति मैनुअल फिटनेस हो। कहा कि फिटनेस केंद्र के विरोध में 11 यूनियनें 25 नवंबर को परिवहन आयुक्त कार्यालय का घेराव करेंगी।