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माता- पिता से बच्चों को विरासत में आदतें और व्यवहार हीं नहीं बल्कि बीमारियां भी मिलती है। इन्हें जेनेटिक यानी अनुवांशिक बीमारी के नाम से जाना जाता है। जीन्स के कारण, बीमारियां एक पीढ़ी से दूसरी को आसानी से अपना शिकार बना लेती है।डायबिटीज, थायराइड, डायबिटीज, हार्ट की बीमार आदि रोग भी जेनेटिक बीमारियों में गिने जाते हैं। आपके परिवार में किसी को ये रोग होंगे और इसी कारण से आपके अंदर भी जेनेटिक बीमारियों के लक्षण नजर आ सकते हैं। आगे हम जानेंगे कि जेनेटिक बीमारियां क्या होती हैं और इनसे बचा जा सकता है या नहीं।
अनुवांशिक रोग होते क्या है:
मानव शरीर में लाखों कोशिकाएं होती हैं। कोशिकाओं को नियंत्रित करने का कार्य डीएनए का होता है। डीएनए हमारा जेनेटिक कोड होता है। इसी कोड की खराबी में जेनेटिक बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। आसान भाषा में कहें, तो जो बीमारी एक पीढ़ी से दूसरी में ट्रांसफर हो, उसे ही अनुवांशिक रोग कहते हैं।
कुछ जेनेटिक रोग जन्म से होते हैं वहीं कुछ उम्र बढ़ने के साथ हो सकते हैं। इन रोगों से बचाव संभव है वहीं कुछ रोग जैसे कैंसर को रोक पाना संभव नहीं है। अगर आप हेल्दी लाइफस्टाइल फॉलो करेंगे, तो जेनेटिक बीमारियों से बच सकते हैं। ऐसा जरूरी नहीं है कि माता-पिता को हुई हर बीमारी से आपको भी गुजरना पड़े, लेकिन इसके खतरे को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। कई बार सही लाइफस्टाइल के बावजूद भी बीमारी एक से दूसरी पीढ़ी में ट्रांसफर हो जाती है इसलिए हम समय-समय पर जांच करवाने की सलाह देते हैं।
अनुवांशिक रोगों से कैसे बचा जा सकता है ?
रोजाना कसरत करें। आपने नोटिस किया होगा कि एक ही परिवार के कई लोग मोटे नजर आते हैं। ऐसा उनके खानपान की एक जैसी आदतों के कारण हो सकता है। कई बार बीमारियां जेनेटिक नहीं होतीं बल्कि एक जैसी जीवनशैली के कारण एक ही परिवार के लोग, कॉमन बीमारी के शिकार हो जाते हैं। ऐसा हो सकता है कि आपके परिवार में किसी को भी कसरत की आदत न हो। लेकिन खुद को हेल्दी रखने और बीमारियों से बचाने के लिए रोजाना आधे घंटे कसरत करें। योगा, वॉक, मेडिटेशन को भी अपने रूटीन में शामिल करें। गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व जांचें करवानी चाहिए। इनके जरिए होने वाले बच्चे में मौजूद कुछ विकारों का पता लगाया जा सकता है। जैसे प्रेगनेंसी के दौरान, थैलेसीमिया की जांच करवानी चाहिए। माता या पिता को ये बीमारी होने पर बच्चे को भी ये रोग होने का खतरा बढ़ जाता है।
जेनेटिक बीमारियों से बचने के लिए आप हेल्दी डाइट का सहारा ले सकते हैं। हालांकि ये कहना मुश्किल है कि हेल्दी डाइट लेने से जेनेटिक बीमारियां नहीं होंगी लेकिन इससे जीन्स की प्रतिक्रिया में सुधार हो सकेगा। सेहतमंद रहने के लिए साबुत अनाज, ब्राउन राइस, कलरफुल सब्जियां, विटामिन बी12, विटामिन बी6, हरी पत्तेदार सब्जियां और फोलिक एसिड आदि को अपनी डाइट में शामिल करें।