भारत अपनी रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए केवल हथियारों का आयात नहीं करता, बल्कि अब इनका निर्यात भी करता है। भारत में बने हथियारों की विदेशी सेना में भी मांग बढ़ी है।
इसी कड़ी में भारत में बने घातक रॉकेट सिस्टम पिनाका को खरीदने के लिए आर्मेनिया ने एक्सपोर्ट ऑर्डर दिया है। आर्मेनिया के अलावा नाइजीरिया और इंडोनेशिया भी इसे पंसद कर रहे हैं।
पिनाका को बनाने वाली सोलार इंडस्ट्रीज के चेयरमैन सत्यनारायण नुवाल कहते हैं, पिनाका रॉकेट्स की लाइफ और रेंज में सुधार किया गया है और अब ये ज्यादा घातक हो चुकी हैं। नुवाल ने कहा, हमें दो साल में कुल मिलाकर आर्मेनिया को 375 रॉकेट्स देने हैं। यह सौदा करीब तीन सौ करोड़ रुपये का है। हमें पूरा भरोसा है कि हम इस लक्ष्य को आसानी से पूरा कर लेंगे।
सत्यनारायण ने आगे बताया, वो (आर्मेनिया) हमारे तीनों वैरिएंट के रॉकेट्स एनहैंस्ड-एमके-1, एडीएम और गाइडेड को ले रहे हैं। तीनों को स्वदेशी तकनीक से बनाया गया है। ये बेहद घातक रॉकेट हैं। इसके आगे दुश्मन की हालत खराब हो जाती है।
पिनाका रॉकेट सिस्टम का दो दर्जन से ज्यादा वक्त परीक्षण हो चुके हैं। सेना और डीआरडीओ ने इन परीक्षणों को देश के अलग-अलग इलाकों में आयोजित किया है। इस रॉकेट सिस्टम ने हर बार सटीक गति, घातक मारकक्षमता का प्रदर्शन किया है।
पिनाका मिसाइल सिस्टम में नए वर्जन एमके-1 एनहैंस्ड रॉकेट सिस्टम और पिनाका एरिया डिनायल म्यूनिशन का सफल परीक्षणकिया जा चुका है। ये पहले की तुलना में ज्यादा घातक, तेज, सटीक और आधुनिक मिसाइल सिस्टम हैं। लॉन्च करने से लेकर लक्ष्य भेदने तक इसके रडार, इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल टारगेंटिंग सिस्टम और टेली मेट्री सिस्टम आदि की निगरानी की गई।
इस रॉकेट का नाम भगवान शिव के धनुष पिनाक के नाम पर रखा गया है। जानकारी के मुताबिक, पिनाका सिस्टम मात्र 44 सेकंड के भीतर 12 रॉकेट लॉन्च करता है। यानी हर चार सेकंड में एक रॉकेट लॉन्च करता है। 214 कैलिबर के लॉन्चर से ये रॉकेट दागे जाते हैं। रॉकेट की रेंज सात से नब्बे किलोमीटर की होती है।