शहरी क्षेत्रों की तुलना में पर्वतीय क्षेत्र के मतदाताओं ने उत्साह दिखाया कम

निर्वाचन आयोग ने लोकसभा चुनाव के आलोक में मतदाताओं को जागरूक करने के जतन किए, ताकि पहाड़ में भी मतदान प्रतिशत बढ़े, लेकिन टिहरी गढ़वाल सीट की बात करें तो यहां शहरी क्षेत्रों की तुलना में पर्वतीय क्षेत्र के मतदाताओं ने उत्साह कम दिखाया है।संसदीय सीट के अंतर्गत आने वाले विधानसभा क्षेत्रों में हुए मतदान के आंकड़े तो यही तस्वीर बयां कर रहे हैं। इस सीट के अंतर्गत आठ विधानसभा क्षेत्र विशुद्ध रूप से पर्वतीय हैं, जहां मतदान का प्रतिशत 39.50 से 53.70 प्रतिशत तक रहा है। विशुद्ध रूप से मैदानी स्वरूप वाली पांच और एक मिश्रित (पहाड़ी व मैदानी) स्वरूप लिए एक विस क्षेत्र में 49.80 से 62.50 प्रतिशत तक मतदान हुआ । टिहरी गढ़वाल संसदीय सीट पर पिछले चुनाव में 58.87 प्रतिशत मतदाताओं ने मताधिकार का प्रयोग किया था। इस बार इससे आगे बढ़ने का लक्ष्य था। शुक्रवार सुबह जब मतदान शुरू हुआ और पहले तीन घंटों के रुझान आए, उससे उम्मीद अवश्य बढ़ी, लेकिन शाम पांच बजे तक मतदान 51.28 प्रतिशत के आंकड़े तक ही पहुंच पाया। तीन जिलों उत्तरकाशी, टिहरी व देहरादून के 14 विधानसभा क्षेत्र इस संसदीय सीट के अंतर्गत हैं।विधानसभा की 11 सीटें भाजपा, दो सीटें कांग्रेस और एक निर्दलीय के पास हैं। लोकसभा चुनाव में विधानसभा क्षेत्रवार मतदान पर नजर दौड़ाएं तो मैदानी स्वरूप वाले क्षेत्रों में अधिक मतदान हुआ, जबकि पर्वतीय क्षेत्र में कम। मतदाताओं की इस व्यवहार से प्रत्याशियों और राजनीतिक दलों की चिंता में भी इजाफा कर दिया है। अब सभी अपने-अपने हिसाब से इसके कारणों के आकलन में जुटे हैं।

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