कोटद्वार नगर निगम : कोटद्वार में लाखों रुपये के गबन व घोटाले के मास्टर माइंड लेखा लिपिक पंकज रावत को कोतवाली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। भवन व संपत्ति की कुर्की के भय से पंकज बुधवार शाम को अपने वकील के साथ आत्मसमर्पण करने अदालत के बजाय सीधे कोतवाली आ गया। जहां से उसे गिरफ्तार कर लिया गया। इस मामले में एक पार्षद और महिला ठेकेदार को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। जबकि अन्य आरोपियों की भी जल्द गिरफ्तारी की जाएगी।
कोतवाल विजय सिंह ने बताया कि बीते 14 अक्तूबर को तत्कालीन नगर आयुक्त केएस नेगी की ओर से प्रभारी लेखाकार का काम देख रहे वरिष्ठ सहायक पंकज रावत व महिला ठेकेदार सुमिता देवी के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कराया गया था जिसमें 23.89 लाखरुपये के सरकारी धन के गबन की बात कही गई थी। इस मामले की विवेचना एसआई संजय रावत को सौंपी गई थी। पुलिस इस मामले में एक पार्षद और महिला ठेकेदार को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है।
गबन और घोटाले का मास्टर माइंड पंकज रावत घर से फरार था। उसकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस दबाव बनाए हुई थी। बताया कि पंकज रावत शहर के कामरुपनगर का निवासी है। उसके घर और आसपास मुखबिरों का जाल बिछाया गया था। कुर्की का भय और दबाव के कारण बुधवार शाम को वह अपने वकील के साथ कोतवाली पहुंच गया जहां से उसे गिरफ्तार कर लिया गया। बताया कि अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए भी दबिश दी जा रही है। विभागीय जांच के बाद पुलिस को मिली तहरीर में कहा गया कि 23.89 लाख रुपये के सरकारी धन के गबन का पता तब चला जब नगर निगम की बैलेंस शीट तैयार की जा रही थी। इसमें एक महिला ठेकेदार सुमिता देवी को विभिन्न चेक के माध्यम से 23,89,584 रुपये का भुगतान होना पाया गया। इस संबंध में 12 अक्तूबर को यूनियन बैंक कोटद्वार और नैनीताल बैंक शाखा कोटद्वार से भुगतान प्राप्ति के संबंध में सत्यापित प्रतियां मांगी गई थीं। सत्यापित प्रतियों में तत्कालीन नगर आयुक्त पीएल शाह व लेखाधिकारी निकिता बिष्ट के हस्ताक्षर दर्शाए गए थे। जब अधिकारियों से पुष्टि की गई तो दोनों ने हस्ताक्षरों को फर्जी करार दिया। इस मामले में हस्ताक्षर जांच के लिए फॉरेंसिक जांच के लिए भी भेजे गए हैं।
नगर निगम में 24 लाख रुपये के घोटाले के बाद मिले 96.35 लाख रुपये के नए घोटाले में भी मास्टर माइंड लेखा लिपिक पंकज रावत समेत सात लोगों के खिलाफ गबन, धोखाधड़ी और संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। कोतवाल विजय सिंह ने बताया कि इस मामले में तत्कालीन नगर आयुक्त किशन सिंह नेगी ने पंकज रावत, ठेकेदार एहसान अहमद, नीरज रावत, अहसान, राजपाल सिंह, सुमिता देवी और रमेश चंद्र चौधरी के खिलाफ तहरीर दी थी। इन लोगों ने 23 चेकों के माध्यम से 96.35 लाख रुपये का भुगतान प्राप्त किया जिसकी पूर्व में विभागीय जांच सहायक नगर आयुक्त कर चुके हैं। विभागीय जांच में यह बात सामने आई कि ये भुगतान पंजिका में दर्ज नहीं हुए। जांच रिपोर्ट में नगर निगम के खातों से 96,34,860 रुपये की धनराशि के अवैध रूप से भुगतान होने की पुष्टि हुई।
मास्टर माइंड लेखा लिपिक पंकज रावत 14 अक्तूबर को दर्ज पहले मुकदमे के बाद से फरार चल रहा था। इस बीच उसके खिलाफ अदालत से गैरजमानती वारंट जारी किया गया। इसके बाद भी पकड़ में न आने पर उसे दस हजार रुपये का ईनामी अपराधी घोषित किया गया।