पिथौरागढ़ जिले के धारचूला में नेपाल-भारत सीमा पर बैठक के दौरान महाकाली नदी के प्रवाह पर लिया गया फैसला

पिथोरागढ | नेपाल और भारत बुधवार को महाकाली नदी को उसके मूल प्रवाह में बहने देने पर सहमत हुए. अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी. उन्होंने कहा कि यह फैसला भारत के पिथौरागढ़ जिले के धारचूला में नेपाल-भारत सीमा पर बैठक के दौरान लिया गया, जहां दोनों पक्ष अस्थायी तटबंध को हटाने और नदी को प्राकृतिक मार्ग पर बहने देने पर सहमत हुए. इससे पहले भारत द्वारा महाकाली नदी के प्रवाह को मोड़ने के लिए अस्थायी तटबंध बनाने के बाद क्षेत्र में तनाव था|

धारचूला दीर्घ के मुख्य जिला अधिकारी राज उपाध्याय ने कहा कि दोनों देशों के सुरक्षा अधिकारियों के बीच बुधवार को हुई बैठक के दौरान भारतीय पक्ष ने नेपाल द्वारा किए गए अनुरोध के मुताबिक 10 दिनों के भीतर अस्थायी तटबंध का मलबा हटाने पर सहमति व्यक्त की. काली नदी उत्तराखंड में पिथौरागढ़ जिले के धारचूला में भारत और नेपाल के बीच बहती है. भारत द्वारा इस नदी पर बनाई जा रही सुरक्षा दीवार ने नेपाल में आशंका पैदा कर दी थी कि इससे नदी का जल प्रवाह नेपाल की ओर मुड़ सकता है, जिससे बाढ़ आ सकती है|

धारचूला में दोनों देशों के अधिकारियों की बुधवार को बैठक हुई. इस बैठक में नेपाली अधिकारी दीर्घराज उपाध्याय ने कहा, ‘हमने मलबा हटाने के काम के लिए निविदा मंगाई है. मलबा हटाने की प्रक्रिया 10 दिनों में शुरू हो जाएगी.’ तटबंध बनाने को लेकर शुरू हुए विवाद के बाद नेपाल ने मंगलवार को भारत को एक डिप्लोमैटिक लैटर भेजा था. विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि भारतीय दूतावास के जरिए एक डिप्लोमैटिक लैटर भारत को भेजा गया था|

हालांकि दोनों देशों के सुरक्षा अधिकारियों के बीच बुधवार को हुई मीटिंग के दौरान भारतीय अधिकारी ने नेपाल द्वारा की गई अपील के अनुसार 10 दिनों के अंदर संरचना को हटाने पर सहमति जताई. इसकी जानकारी धारचूला के मुख्य जिला अधिकारी दीर्घाराज उपाध्याय ने दी. सूत्रों ने कहा कि भारतीय अधिकारियों ने तटबंध इलाके का निरीक्षण किया है. इससे पहले, धारचूला में नेपाली और भारतीय लोगों ने एक-दूसरे पर पथराव किया था. इसमें एक नागरिक सहित चार नेपाली घायल हो गए थेथे|

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