भारत-नेपाल सीमा पर मंगलवार को प्रस्तावित संयुक्त सर्वे 10 जून तक टाल दिया गया है। नेपाल के सीडीओ के नहीं पहुंचने के कारण सर्वे नहीं किया जा सका। एसडीएम खटीमा ने वन विभाग को विवादित स्थल छोड़कर दूसरी जगह पोल लगाकर तारबाड़ करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि भारतीय क्षेत्र में अगर नेपाली नागरिकों की ओर से कोई गड़बड़ी की तो नेपाल सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की जायेगी।
मंगलवार दोपहर एसडीएम खटीमा रविंद्र सिंह बिष्ट रेंजर आरएस मनराल को साथ लेकर भारत-नेपाल सीमा में विवादित स्थल पर पहुंचे। यहां पहले से ही एसएसबी के डिप्टी कमांडेंट अनिल कुमार मौजूद थे। एसएसबी के डिप्टी कमांडेंट ने एसडीएम को बताया कि जिस जगह पर नेपाली नागरिकों ने विरोध जताया है।
वह नो मैंस लैंड से करीब 15 मीटर भीतर भारतीय क्षेत्र में हैं। इस दौरान नेपाल आर्म्ड पुलिस फोर्स के उप निरीक्षक देवेंद्रनाथ ने बताया कि सर्वे के लिये कंचनपुर के सीडीओ को आना था, लेकिन एक आवश्यक बैठक के चलते वह यहां नहीं आ सके। एसडीएम ने नेपाली उप निरीक्षक को स्पष्ट किया कि वन विभाग की ओर से भारतीय सीमा के भीतर कार्य कराया जाता है।
कहा कि अगर किसी नेपाली नागरिक द्वारा दोनों देशों के संबंध खराब करने के लिए पोल उखाड़े जाते हैं, तो उस पर नेपाल सरकार की ओर से कार्रवाई करनी होगी। रेंजर मनराल ने बताया कि अगला संयुक्त सर्वे10 जून को अधिकारियों की संयुक्त बैठक के बाद किया जायेगा। बताया कि वन विभाग तय तिथि के बाद भारतीय क्षेत्र में उखाड़े गए पोल दोबारा लगाना प्रारंभ कर देगा।
सीमा पर प्लांटेशन को लेकर बढ़ा विवाद
खटीमा वन विभाग द्वारा 25 हेक्टेअर जमीन पर भारत-नेपाल सीमा पर प्लांटेशन का काम किया जा रहा है। इसके लिये वन विभाग एक हजार पोल लगाने और तारबाड़ का काम कर रहा है। बीते दिनों नेपाली नागरिकों ने यहां विरोध कर काम रुकवा दिया था। यही नहीं, उन्होंने वन विभाग की ओर से लगाये पोल भी उखाड़ फेंके। बताया जाता है कि पोल गिराने की यह कार्रवाई नेपाल के एक राजनीतिक दल के कार्यकर्ताओं ने की है।
पिलर गायब होने का बनाया जा रहा बहाना
रेंजर आरएस मनराल ने बताया कि भारत-नेपाल सीमा पर पिलर संख्या 798/2 गायब है। वन विभाग की ओर से भारतीय सीमा में इसी पिलर के नजदीक काम कराया जा रहा था। नेपाली नागरिकों ने पिलर गायब होने का बहाना बनाकर भारत पर नेपाल की सीमा में तारबाड़ करने का आरोप लगाते हुये विरोध किया है।