कर्नाटक के मल्लिकार्जुन खड़गे शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव की रेस में शामिल हो गए। उन्होंने आज अपना नामांकन दाखिल कर दिया। गांधी परिवार के काफी करीबी माने जाने वाले खड़गे यदि कांग्रेस अध्यक्ष के लिए निर्वाचित होते हैं तो वे कर्नाटक से दूसरे पार्टी अध्यक्ष होंगे। उनसे पहले दलित नेता एस निजलिंंगप्पा ने कांग्रेस अध्यक्ष का पद जगजीवन राम के बाद संभाला था।संयुक्त मजदूर संघ के प्रभावशाली नेता रह चुके खड़गे ने मजदूरों के अधिकारों के लिए किए गए कई आंदोलनों की अगुवाई की। खड़गे ने मोदी लहर को भी टक्कर दिया था। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में अपनी सीट बचाने में उन्होंने कामयाबी हासिल की थी। इसके बाद ही इन्हें लोकसभा में पार्टी का नेता बनाया गया।1969 में उन्होंने इंडियन नेशनल कांग्रेस से हाथ मिलाया और गुलबर्ग सिटी कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष बने। विभिन्न मंत्रालयों में रह चुके खड़गे लोकसभा में 2014 से 2019 तक लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता रहे। उन्होंने क्षम व रोजगार मंत्रालय, रेलवे ओर सामाजिक न्याय व सशक्तिकरण मंत्रालय को भी संभाला।कई बार कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे शीर्ष प्रतियोगी रहे लेकिन कभी भी इस पद तक नहीं पहुंचे। खड़गे ने पहले कई बार कहा है, ‘आप मुझे दलित क्यों कहते रहते हैं, ऐसा मत कहिए, मैं कांग्रेस का हूं। स्वभाव से शांत खड़गे कभी भी विवादित पचड़े में नहीं फंसे। कर्नाटक के बीदर जिला स्थित वारावत्ती में खड़गे का जन्म हुआ था। उन्होंने गुलबर्ग में ही स्कूली पढ़ाई पूरी की। साथ ही ग्रेजुएशन व कानून की पढ़ाई भी की। राजनीति में कदम रखने से पहले कुछ थी कानून की प्रैक्टिस भी की। बौद्ध धर्म के अनुयायी खड़गे ने 1968 में राधाबाई से विवाह किया। इनके तीन पुत्र व दो पुत्रियां हैं। इनमें से एक प्रियांक खड़गे विधायक हैं।