जोशीमठ: उत्तराखंड के जोशीमठ में पहाड़ की दरारों के साथ मकानों की दीवारें फट रही हैं. राज्य से लेकर केंद्र सरकार जोशीमठ के हालातों को लेकर चिंतित नजर आ रही है और इसी बीच यहां के लोगों के लिए अगले कुछ दिन और भी मुसीबत भरे हो सकते हैं. मौसम विभाग ने यहां बारिश होने का अलर्ट जारी किया है. यहां आसमान में बादल छाने लगे हैं. 11 और 12 जनवरी को जताई जा रही संभावना के तहत बारिश हुई तो धंस रहे और फट रहे मकानों के लिए यह और भी खतरनाक हो सकता है.
मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून के डायरेक्टर विक्रम सिंह का कहना है कि 11 और 12 जनवरी को प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में बारिश की संभावना बन रही है. जिन इलाकों में बारिश के आसार हैं उनमें जोशीमठ भी शामिल है. यहां पर बारिश होने के चलते दरारों में बढ़ोतरी के साथ लैंडस्लाइड होने के भी आसार हैं. साथ ही मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून के डायरेक्टर विक्रम सिंह का कहना है कि दो दिन की बारिश के बाद फिलहाल मौसम साफ रहेगा.गौरतलब है कि जोशीमठ में पहाड़ में कई जगहों पर पानी का रिसाव हो रहा है. पहाड़ में दरारें पड़ने के साथ ही यहां के अधिकांश मकान धंस रहे हैं. उनकी दीवारें और छतें फट गई हैं, जिसको लेकर स्थानीय लोग दहशत में हैं. सरकार यहां के लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का प्रयास कर रही है. लोग घरों से जरूरी सामान लेकर दूसरे सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट करने के काम में जुटे हैं. प्राकृतिक आपदा की आशंकाओं से लोग भयभीत हैं.उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने तत्काल निर्देश दिया है कि जोशमठ के लिए एक जल निकासी योजना तैयार की जाए, जिस पर वह बिना किसी औपचारिकता के हस्ताक्षर करेंगे. उधर एनटीपीसी इस बात से इनकार कर रहा है कि इस संकट के लिए भूमिगत सुरंग जिम्मेदार है. उसका कहना है कि उनकी सुरंग में पानी का रिसाव नहीं और वह सूखी है. साथ ही ये जोशीमठ शहर से लगभग एक किलोमीटर दूर है. हालांकि इतिहास बताता है कि ये सुरंग कमजोर है. तपोवन-विष्णुगढ़ पनबिजली परियोजना में पिछले साल फरवरी में चमोली में आई बाढ़ के दौरान इस सुरंग में 54 मजदूरों की मौत हो गई थी. सात संस्थानों के विशेषज्ञों वाली एक केंद्रीय टीम अब पानी के रिसाव के प्राथमिक स्रोत का पता लगाने के काम में लगी है.