हिमाचल प्रदेश में 2022 के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं। आम आदमी पार्टी (आप) ने राज्य में पैठ बनाकर राजनीतिक परिस्थितियों को बदल दिया है। आप के राष्ट्रीय संयोजक व दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और अन्य नेता राज्य में पार्टी को तीसरी ताकत के रूप में स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं, जहां लोगों ने कभी सत्ता के लिए तीसरे मोर्चे को वोट नहीं दिया। हालांकि, राज्य में पहली बार 1998 में गठबंधन सरकार देखी गई थी, जब स्वर्गीय सुख राम की ओर से शुरू की गई हिमाचल विकास कांग्रेस ने भाजपा के साथ गठबंधन किया था।
अरविंद केजरीवाल हाल ही में हिमाचल के तीन दौरे कर चुके हैं। हमीरपुर, कांगड़ा और मंडी दौरों के दौरान सत्ताधारी भाजपा और विपक्षी कांग्रेस उनके निशाने पर रही। केजरीवाल न केवल उन निर्वाचन क्षेत्रों को निशाना बना रहे हैं, जिन्हें अक्सर भाजपा का पॉकेट कहा जाता है, बल्कि विकास से जुड़े मुद्दे भी उठा रहे हैं। वह अपनी रैलियों और बातचीत में राजनीतिक भ्रष्टाचार, स्कूलों में शिक्षकों की कमी, खराब स्वास्थ्य सुविधाओं, बेरोजगारी और बढ़ती कीमतों के मुद्दों को प्रमुखता से उठाते हैं।