सावन में लाखों लोग देवघर में भगवान भोले को चढ़ाते हैं जल, जानें कैसे होती है भक्तों की गिनती

सावन का महीना चल रहा है। इस महीने में लाखों शिव भक्त गंगाजल लेकर भगवान भोले पर चढ़ाते हैं। सावन में कांवड़ यात्रा बहुत प्रसिद्ध है। गंगाजल लाने के लिए शिव भक्त मीलों तक पैदल यात्रा करते हैं। झारखंड स्थित देवघर में भी लाखों कावड़िए सावन में पहुंचते हैं। बाबा बैद्यनाथ धाम में पूरे सावन भर भक्तों की भीड़ रहती है। जानकारी के मुताबिक 1 दिन में यहां लाखों लोग भगवान भोलेनाथ पर जल चढ़ाते हैं। बिहार के सुल्तानगंज से जल लेकर शिवभक्त 105 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर कर बैद्यनाथ धाम पहुंचते हैं और फिर बाबा को जल अर्पित करते हैं। इस दौरान शासन प्रशासन की भी स्थिति काफी मजबूत रहती है। क्राउड मैनेजमेंट से लेकर लॉ एंड ऑर्डर तक को कंट्रोल करने के लिए पूरा पुलिस महकमा लगा रहता है। लेकिन सवाल यह भी है कि लाखों कावड़ियों की गिनती प्रशासन कैसे करता है।

इसको लेकर जो जानकारी सामने आई है उसमें बताया गया है कि झारखंड की सीमा में प्रवेश करते समय कावड़ियों का आकलन कर लिया जाता है। देवघर के दुम्मा बॉर्डर पर एक एक्सेस कार्ड सेंटर बनाया गया है। यहां आठ काउंटर है और 16 व्यक्ति एक साथ लगातार कार्य करते रहते हैं। यहीं से श्रद्धालुओं को एक प्रवेश कार्ड दिया जाता है। इसी प्रवेश कार्ड के आधार पर कांवरियों के गिनती होती है और इस बात का पता किया जाता है कि झारखंड में किस रफ्तार से लोग पहुंच रहे हैं। एक्सेस कार्ड सेंटर पर एक दंडाधिकारी की भी नियुक्ति की जाती है। सभी श्रद्धालुओं को एक कंप्यूटर कृत कूपन भी मिलता है। कार्ड दिखाकर ही कांवरिया देवघर पहुंचते हैं।

बिहार में अतिरिक्त पुलिसकर्मियों की तैनाती

बिहार के उन जिलों में अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की गई है जो कांवड़ियों की भारी भीड़ के लिए जाने जाते हैं। अपर पुलिस महानिदेशक (मुख्यालय) जे एस गंगवार ने कहा कि मुजफ्फरपुर, भागलपुर, नौगछिया और बांका जैसे जिलों को 3000 पुलिस कर्मियों और भारी संख्या में होमगार्ड जवान उपलब्ध कराया गया है क्योंकि ये जिले कांवड़ियों के इकट्ठा होने के लिए जाने जाते हैं। गंगवार ने कहा, ‘‘ये 6000 कर्मी घुड़सवार इकाइयों और आंसू गैस के दस्तों के अलावा होंगे।’’ उन्होंने कहा कि इसी सिलसिले में जमालपुर रेलवे पुलिस जिला को भी अतिरिक्त बल उपलब्ध कराया जा रहा है। गंगवार ने कहा, ‘‘अतिरिक्त बल की यह तैनाती 40-45 दिनों तक तीर्थयात्रियों की आवाजाही के दौरान जारी रहेगी।

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