ग्रामीण वित्तपोषण को बढ़ावा देने के लिए पीएनबी ने किया मासिक कृषि आउटरीच कार्यक्रम का शुभारंभ

देहरादून- 31 मई 2025: सार्वजनिक क्षेत्र में देश के अग्रणी बैंकों में से एक, पंजाब नैशनल बैंक 2 जून, 2025 को अपने मासिक राष्ट्रव्यापी कृषि आउटरीच कार्यक्रम के आयोजन के लिए तैयार है। देश भर में कृषि से संबंधित समुदायों का सहयोग करने के उद्देश्य से इस पहल का आयोजन हर माह के प्रथम दिवस पर किया जाएगा जो किसानों और कृषि कारोबार के साथ निरंतर जुड़ाव सुनिश्चित करेगा।

यह कार्यक्रम पारंपरिक कृषि पद्धतियों से आधुनिक उच्च-तकनीकी समाधानों तक कृषि संबंधी व्यापक आवश्यकताओं हेतु वित्तपोषण के बारे में जागरूकता और पहुंच बढ़ाने का प्रयास करेगा। पीएनबी ग्रामीण वित्तीय समावेशन और सशक्तिकरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करते हुए, कृषि चौपालों, डिजिटल ज़ोन और पीएनबी बूथों के माध्यम से इस आटरीच को सुगम बनाएगा।

 

आउटरीच कार्यक्रम के प्रमुख फोकस क्षेत्र:

· स्वयं सहायता समूह (एसएचजी):  कारोबार उद्यमों के विस्तार को सक्षम बनाने के लिए माइक्रो क्रेडिट प्लान-आधारित वित्तपोषण के साथ एसएचजी को सुदृढ़ बनाना।

कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ): उत्पादकता और बाजार तक पहुंच को बढ़ावा देने हेतु फार्म मशीनीकरण, भंडारण सुविधाओं, कोल्ड स्टोरेज और कस्टम हायरिंग इकाइयों  को वित्तीय सहायता प्रदान करना।

सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों का औपचारिकीकरण (पीएमएफएमई): देश के आधारभूत ढांचे के उन्नयन, बेहतर गुणवत्ता मानकों और बाजार विस्तारण के लिए सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करणकर्ताओं को अनुदान, ऋण और सब्सिडी का प्रावधान।

अन्य प्राथमिकता वाले क्षेत्र: नवाचार और ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय पशुधन मिशन, सटीक खेती, उच्च प्रौद्योगिकी कृषि और खाद्य एवं कृषि प्रसंस्करण इकाइयों को सहायता करना।

पीएनबी के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी, श्री अशोक चंद्र ने भारत के कृषि क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिए बैंक के समर्पण पर बल देते हुए इस पहल पर कहा: “कृषि हमारी अर्थव्यवस्था का आधार है। हम किसानों और ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाने के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध हैं। इस आउटरीच कार्यक्रम के माध्यम से, हमारा लक्ष्य ऋण तक आसान पहुंच प्रदान करना, हमारे डिजिटल ऋण समाधानों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और ऐसी साझेदारी विकसित करना है जो कृषि मूल्य श्रृंखला को मजबूत करे।”

यह अविरत पहल वित्तीय संस्थानों और कृषि क्षेत्र के बीच के अंतर को कम करने की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है, जो ग्रामीण भारत के सतत विकास और आर्थिक प्रगति को सुनिश्चित करेगी।

 

 

 

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