पौड़ी के कांडा गांव से दुल्हन लेने गए लालढांग और आसपास के 16 बराती अब कभी वापस नहीं लौट पाएंगे। बराती दुल्हन तो नहीं ला सके, लेकिन सफेद कपड़ों में लिपटे उनके शव आज बृहस्पतिवार को गांव पहुंच जाएंगे। बस दुर्घटना के बाद गांव में कोहराम मचा है। हर तरफ चीख पुकार मची है।
अपनों की मौत की खबर से परिवार बेसुध हैं। दूल्हा संदीप बुधवार को शाम पांच बजे बिना दुल्हन के गांव पहुंचा। संदीप हादसे से टूट गया है, लेकिन उसकी खामोशी नहीं टूट रही है। शादी वाले गांव में विजयदशमी की खुशियों की जगह मातम छाया है। गांव में अधिकतर घरों में चूल्हे नहीं जले हैं। लालढांग मिश्रित आबादी का कस्बा है।
यहां पर हिंदू, मुस्लिम और सिख सुख-दुख में एक-दूसरे के साथी हैं। खेतीबाड़ी से ही ग्रामीणों की आजीविका चलती है। शादी-ब्याह में सभी लोग शामिल होते हैं। मंगलवार को दोपहर गांव के संदीप की पौड़ी के कांडा गांव के लिए बरात निकली। हर कोई दुल्हन लाने के लिए उत्सुक था।
बरात में बच्चों और महिलाओं से लेकर बुजुर्ग तक भी गए थे। बस में 45 से अधिक बराती सवार थे। इनमें कई बच्चे भी थे। बरात की बस दुल्हन के घर पहुंचने से पहले सिमड़ी बैंड के पास चालक की लापरवाही से दुर्घटनाग्रस्त होकर खाई में समा गई। बस की कमानी का पट्टा टूटने से हादसा हुआ। हादसे में 33 लोगों की मौत और 18 घायलों की पुष्टि हुई है। मृतकों में 16 बराती लालढांग, गाजीवाली और रसूलपुर के हैं, जबकि बाकी मंडावली और दूल्हे के रिश्तेदारी के हैं।