गुजरात में बीजेपी के नाम नया रिकॉर्ड दर्ज करने वाले ”दादा” ने ली दूसरी बार सीएम पद की शपथ

गुजरात : सिविल इंजीनियर के रूप में अपना करियर शुरू करने वाले भूपेंद्र भाई पटेल, एक बिल्डर के तौर पर भी काम कर चुके हैं. खास बात ये है कि वह उन गिने-चुने लोगों में शामिल हैं जो पहली बार ही विधायक बने और सीएम पद तक पहुंचे. उन्हें क्रिकेट-बैडमिंटन के साथ ही योग करना भी बेहद पसंद है. आइए जानते हैं उनसे जुड़े कुछ रोचक तथ्य.

भूपेंद्र पटेल को राजनीति में लाने का श्रेय गुजरात की पूर्व सीएम आनंदीबेन पटेल को जाता है. दरअसल भूपेंद्र पटेल का युवावस्था से ही संघ से जुड़ाव रहा है. इंजीनियरिंग में डिप्लोमा धारी भूपेंद्र पटेल 1990 के दशक में आनंदीबेन पटेल के संपर्क में आए थे. जब आनंदीबेन को यूपी का राज्यपाल बना दिया गया तो उन्होंने अपनी सीट भूपेंद्र भाई के लिए ही छोड़ी. 2017 में वह पहली बार मुख्यधारा की राजनीति में आए और घाटलोडिया से विधायक चुने गए, हालांकि वह राजनीति में पहले से सक्रिय थे.

भूपेंद्र पटेल देश के ऐसे गिने-चुने नेताओं में शामिल हैं जो पहली बार ही विधायक चुने गए और सीएम पद तक पहुंचे. 2017 में घाटलोडिया से भूपेंद्र पटेल पहली बार विधायकी का चुनाव लड़े और रिकॉर्ड अंतर से जीते भी. उन्हें भाजपा का संकटमोचक माना जाता है. भूपेंद्र पटेल प्रभावशाली निर्णय लेने वाले भी माने जाते हैं. गुजरात में पाटीदार समुदाय पर गहरा प्रभाव रखने वाले भूपेंद्र भाई पटेल सीएम बनने वाले पहले कड़वा पटेल नेता हैं. वह पाटीदार समुदाय से आने वाले 5 वें सीएम हैं. उनसे पहले पाटीदार समुदाय के चिमन भाई पटेल, बाबू भाई पटेल, केशु भाई पटेल और आनंदीबेन पटेल सीएम रह चुकी हैं.

बतौर मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल पोरबंदर में अवैध निर्माणों पर कार्रवाई करके बुलडोजर बाबा के तौर पर भी फेमस हुए. आम लोगों में वह हीरो की तरह छाए. यूपी की तरह कुछ जगह उन्हें बाबा की जगह बुलडोजर दादा भी कहा गया. पीएम मोदी ने भी चुनाव प्रचार के दौरान भूपेंद्र पटेल की इस कार्रवाई की तारीफ की. सीएम योगी आदित्यनाथ की सभाओं में भी ये नारा खूब गूंजा था.इसके बाद ही नरेंद्र और भूपेन्द्र की डबल इंजन की सरकार का स्लोगन गुजरात में हिट हुआ था.

भूपेंद्र पटेल को गुजरात में प्यार से दादा नाम से पुकारा जाता है. यह नाम पड़ा अकरम विज्ञान आंदोलन से. दरअसल भूपेंद्र पटेल अकरम विज्ञान आंदोलन के बड़े अनुयायी रहे हैं. यह एक धार्मिक आंदोलन था, जो दादा भगवान ने शुरू किया था. इस आंदोलन के बाद से ही भूपेंद्र पटेल को दादा नाम मिला. भूपेंद्र पटेल की खेलों में भी बेहद दिलचस्पी है. वह नियमित योग करते हैं और क्रिकेट बैडमिंटन के भी शौकीन हैं|

भूपेंद्र पटेल को बेदाग छवि के लिए भी जाना जाता है, उन पर कोई आपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं हैं न ही कभी कोई आरोप लगा है. उनके स्वच्छ रिकॉर्ड के लिए भी लोग उन्हें पसंद करते हैं. यही वजह है कि इस बार घाटलोडिया सीट से उनकी जीत और बड़ी हुई है. 2017 में जहां वे 1.17 लाख मतों से विधायक बने थे. इस बार उन्होंने अपनी प्रतिद्वंदी कांग्रेस की अमीबेन याज्ञनिक को 1.92 लाख मतों से पराजित किया है|

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