देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा में आपातकाल की निंदा करने के लिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की सराहना करते हुए कहा कि देश के इतिहास में हुई इस संविधान विरोधी घटना के सभी पीड़ितों के सम्मान में सदस्यों का सदन में मौन रखना एक अद्भुत भाव का प्रदर्शन था.
बिरला ने लोकसभा अध्यक्ष चुने जाने के तुरंत बाद लोकसभा में आपातकाल की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पढ़ा और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार की आलोचना की. कांग्रेस सांसदों और कुछ अन्य विपक्षी सदस्यों के विरोध के बीच बड़ी संख्या में सांसद कुछ क्षणों के लिए मौन खड़े रहे.प्रधानमंत्री ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘मुझे खुशी है कि लोकसभा अध्यक्ष महोदय ने आपातकाल की कड़ी निंदा की, उस दौरान की गई ज्यादतियों को रेखांकित किया और लोकतंत्र का किस प्रकार गला घोंटा गया, उसका भी उल्लेख किया.’ उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान पीड़ित सभी लोगों के सम्मान में सदस्यों का सदन में मौन खड़े होना भी एक अद्भुत भाव का प्रदर्शन था.
बिरला ने लोकसभा अध्यक्ष चुने जाने के तुरंत बाद लोकसभा में आपातकाल की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पढ़ा और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार की आलोचना की. कांग्रेस सांसदों और कुछ अन्य विपक्षी सदस्यों के विरोध के बीच बड़ी संख्या में सांसद कुछ क्षणों के लिए मौन खड़े रहे.प्रधानमंत्री ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘मुझे खुशी है कि लोकसभा अध्यक्ष महोदय ने आपातकाल की कड़ी निंदा की, उस दौरान की गई ज्यादतियों को रेखांकित किया और लोकतंत्र का किस प्रकार गला घोंटा गया, उसका भी उल्लेख किया.’ उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान पीड़ित सभी लोगों के सम्मान में सदस्यों का सदन में मौन खड़े होना भी एक अद्भुत भाव का प्रदर्शन था.उन्होंने कहा, ‘आपातकाल 50 साल पहले लगाया गया था, लेकिन आज के युवाओं के लिए इसके बारे में जानना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह इस बात का एक उपयुक्त उदाहरण है कि जब संविधान को कुचल दिया जाता है, जनमानस को दबाया जाता है और संस्थानों को नष्ट कर दिया जाता है तो क्या होता है. आपातकाल के दौरान जो घटनाएं हुईं, वे इस बात का उदाहरण हैं कि तानाशाही कैसी दिखती है.’