चंपावत जिला एक आदर्श जिला बनने की ओर अग्रसर है- जिलाधिकारी

चंपावत।जिले में किसानों की समस्याओं के समाधान एवं उन्हें विभिन्न रेखीय विभागों कृषि, उद्यान, पशुपालन, सिंचाई, दुग्ध, मत्स्य,ग्राम्य विकास एवं कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से सरकारी योजनाओं का सही समय पर लाभ पहुंचाने तथा उनकी समस्याओं का त्वरित समाधान आदि को लेकर जिले में अभिनव पहल करते हुए जिलाधिकारी नरेंद्र सिंह भंडारी ने गुरुवार को जिला कार्यालय सभागार में कृषि से जुड़े इन रेखीय विभागों एवं जिले के प्रगतिशील किसानों के साथ एक बैठक कर किसानों के द्वारा कृषि, औद्यानिकी, पशुपालन आदि क्षेत्रों में किए जा रहे कार्यों में आ रही विभिन्न समस्याओं तथा उनमें आवश्यक सुधारों विभिन्न योजनाओं के संबंध में जानकारी लेते हुए सुझाव लिए गए, साथ ही बैठक में रेखीय विभागों द्वारा जिले में कृषि, औद्यानिकी, पशुपालन आदि क्षेत्रों में किसानों हेतु संचालित योजनाओं की विभागवार जानकारी दी गई*।

बैठक में जिलाधिकारी ने कहा कि चंपावत जिला एक आदर्श जिला बनने की ओर अग्रसर है इस *जिले में कृषि, औद्यानिकी, पशुपालन, मत्स्य पालन, मौन पालन जो पूर्व से यहां के किसान करते आ रहे हैं सरकारी विभागों कृषि, औद्यानिक विशेषज्ञों तथा किसानों के सहयोग से इसे मिलकर आगे बढ़ाना है अधिक से अधिक लोगों को इससे जोड़ते हुए स्वरोजगार को बढ़ाना है*। इस हेतु किसानों की समय समय पर कृषि, ओद्यानिकी आदि से संबंधित प्रशिक्षण उपलब्ध कराना, *जंगली जानवरों से फसलों को नष्ट होने से बचाने के लिए चरणबद्ध ढंग से जिले के प्रत्येक गांव में विभिन्न विभागों वन, कृषि, उद्यान, ग्राम्य विकास (मनरेगा) आदि विभागों के आपसी समन्वय से चहारदीवारी, घेरबाड़ के कार्य कराए जाएंगे*। इस हेतु प्रथम चरण में गावों का चयन कृषि, उद्यान व ग्राम्य विकास विभाग द्वारा किया जाएगा। इसके अतिरिक्त किसानों की सिंचाई की समस्या के समाधान हेतु जिलाधिकारी ने कहा कि *जिन गांव में वर्तमान में पलायन नहीं हुआ है और अधिकांश लोग कृषि, औद्योनिकी से जुड़े हैं उन गांव को प्राथमिकता से लेते हुए सिंचाई योजना तैयार की जाएगी*। इस हेतु उन्होंने *कृषि, उद्यान लघु सिंचाई विभाग के अधिकारियों को तत्काल गावों का चयन कर कर सिंचाई योजना के प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए*।
बैठक में विभिन्न क्षेत्रों से आए प्रगतिशील किसानों द्वारा कृषि, औद्योनिक, पशुपालन, मौन पालन, मत्स्य पालन संबंधित प्रशिक्षण कार्यक्रम समय-समय पर आयोजित करने की मांग जिलाधिकारी के समक्ष रखी ताकि किसान आधुनिक खेती के संबंध में नई-नई जानकारी ले सकें। इस संबंध में जिलाधिकारी ने कहा कि *कृषि, उद्यान, मत्स्य, पशुपालन विभाग व कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक व विशेषज्ञों की टीम गांव गांव जाकर किसानों के मध्य प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करेगी*। इस संबंध में जिलाधिकारी ने मुख्य कृषि अधिकारी को रोस्टर तैयार करने के निर्देश दिए।
जिलाधिकारी ने कहा कि *जंगली जानवरों द्वारा खेती को नष्ट होने से स्थाई रूप से समाधान हेतु विभागों को मिलकर कार्य करना होगा। वन विभाग एक किसी गांव को लेकर पायलट प्रोजेक्ट के तहत कार्य करें। इसमें कृषि विज्ञान केंद्र की भी सहायता लें*। जंगलों में अधिक से अधिक फलदार पौधों का रोपण किए जाने हेतु कार्य योजना तैयार कर प्रारंभ करें।
किसानों द्वारा इस दौरान कृषि औद्योगिक क्षेत्र में आ रही विभिन्न समस्याओं के समाधान हेतु अनेक सुझाव भी दिए। *जिसमें टपक सिंचाई व्यवस्था को बढ़ाए जाने, प्रत्येक फसल का बीमा अनिवार्य रूप से किए जाने, एकीकृत खेती को बढ़ाए जाने, किसानों के उत्पादों विशेष रूप से स्थानीय फल उत्पादों का सही मूल्य दिलाए जाने, वर्टिकल फार्मिंग को बढ़ाए जाने, समय पर उन्नतशील बीजों को किसानों तक पहुंचाने, अधिक से अधिक गौशालाओं का निर्माण किए जाने, क्षतिग्रस्त मत्स्य तालाब ठीक किए जाने की बात बैठक में रखी*।
जिलाधिकारी ने कृषि, उद्यान विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि *प्रत्येक किसान का केसीसी बनने के साथ ही उनकी फसल का बीमा अवश्य कराया जाए*। उन्होंने जिला विकास अधिकारी को *मनरेगा से गौशाला निर्माण करने, क्षतिग्रस्त मत्स्य तालाबों की मरम्मत करने हेतु प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए*। उन्होंने कहा कि *किसानों की विभिन्न समस्याओं के समाधान हेतु अधिकारी कर्मचारी गांव का अवश्य भ्रमण करें*।
बैठक में जिले में जड़ी-बूटी विकास के संबंध में विभिन्न क्षेत्रों से आए किसानों द्वारा तेजपत्ता के सही मूल्य दिलाए जाने की मांग रखी गई, जिस पर जिलाधिकारी द्वारा *समन्वयक भेषज संघ को निर्देश दिए कि वह तेजपत्ता के थोक विक्रेताओं के साथ बैठक कर इसका मूल्य निर्धारण कर दुकानों में निर्धारित दर चस्पा कराएं, ताकि किसानों को उचित लाभ मिल सकें*। उन्होंने सहकारिता विभाग को निर्देश दिए कि वह सहकारी समितियों के माध्यम से तेजपत्ता क्रय करने हेतु शासन स्तर से पत्राचार करें ताकि किसानों को बाहर ना जाना पड़े। वह अपने तेजपात के उत्पाद को सहकारी समिति को स्थानीय स्तर पर ही बिक्री कर सकें। इस दौरान किसानों द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में पशुओं में हो रही बीमारी के संबंध में अवगत कराया, जिस पर जिलाधिकारी द्वारा इन क्षेत्रों में पशु चिकित्सा कैंप लगाने के निर्देश दिए। साथ ही उन्होंने पशुपालन एवं दुग्ध विभाग को जिले में दुग्ध उत्पादन को बढ़ाए जाने एवं दुग्ध पलकों को को दूध का उचित मूल्य मिले, इस हेतु आवश्यक जानकारी आदि उपलब्ध कराने के निर्देश विभागीय अधिकारियों को दिए। मौन पालन प्रशिक्षण के संबंध में जिला उद्यान अधिकारी को निर्देश दिए कि वह विभिन्न क्षेत्रों में अधिक अवधि का *मौन पालन प्रशिक्षण मौन पालकों को उपलब्ध कराएं*। जिलाधिकारी ने अवगत कराया कि निकट भविष्य में जिले के सुखीढांग में लगभग 4.5 करोड़ रुपए की लागत से मौन पालन प्रशिक्षण केंद्र निर्मित होने जा रहा है, जिसकी कार्यवाही गतिमान है।इससे मौन पालकों को लाभ मिलेगा।

बैठक में एपीडी विमी जोशी, डीडीओ एसके पंत, मुख्य कृषि अधिकारी गोपाल सिंह भंडारी, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी पीएस भंडारी, जिला उद्यान अधिकारी टीएन पाण्डेय, कृषि एवं भूमि संरक्षण अधिकारी हिमांशु जोशी, जनपद मत्स्य प्रभारी संजीव कुमार प्रगतिशील किसान मोहन चंद्र पाण्डेय, नवीन करायत, सुभाष, देवी दत्त जोशी, रघुवर मुरारी, गणेश दत्त पाण्डेय, पूर्णादत्त जोशी, तुलसी प्रकाश, आदि मौजूद रहे।

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